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राजस्थानी भाषा का साहित्य | rajasthani bhasha ka sahity

 राजस्थानी भाषा का साहित्य (Rajasthani language literature)

राजस्थानी भाषा का साहित्य का अर्थ है राजस्थानी भाषा मे लिखा गया साहित्य है । ग्रन्थ, उपदेश, वशांवली, कथा एवं कहानियाँ, प्रकाश ,रासो आदि राजस्थानी भाषा मे लिखे गए है तथा यह राजस्थानी भाषा का साहित्य रूप है ।

राजस्थान मानचित्र

राजस्थान मे साहित्य रूप से दो भाषाएँ डिंगल एवं पिगल थी ।

राजस्थानी भाषा के साहित्यिक रूप

1 डिंगल
2. पिंगल

1. डिंगल

यह मारवाड़ी मिश्रित भाषा है, जिसकी उत्पत्ति अपभ्रंश से हुई है । डिंगल भाषा पश्चिमी राजस्थान मे बोली जाती है । अतः राजस्थान का सर्वाधिक साहित्य इसी डिंगल भाषा मे लिखा गया है । इसका सर्वप्रथम प्रयोग 1550 ई. मे कूशललाम ने डिंगल शिरोमणी मे किया । विजय पाल रासो, हम्मीर रासो, सुमाण रासो, वंश भास्कर आदि डिंगल मे लिखे गए ग्रन्थ है
डिंगल भाषा की चार उपबोलिया है ।
1. चारण शैली
2. जैन शैली
3. सन्त शैली
4. लोकिक शैली

2. पिंगल भाषा

इस भाषा मे ब्रज भाषा का प्रभाव मिलता है । पिंगल भाषा की उत्पत्ति शौरसेनी अपभ्रंश से मानी जानी जाती है । यह पूर्वी राजस्थान मे बोली जाने वाली साहित्य भाषा है । इस भाषा को छन्दों के रूप मे लिखा गया है ।पिगल भाषा के प्रमुख ग्रन्थ
ढोला मारू रा दुहा
राजरूपक
अजलदास खिंची री वचनिका
रूकमणि हरण
रावल जैसल रो छंद

राजस्थान साहित्यिक कृतियों की विधाए

वंशावली

इसमे राजवंशों का विस्तृत वर्णन होता है ।

वचनिका

यह गद्य एवं पद्य का मिश्रण होता है ।

ख्यात

यह राजाओं कि मान मर्यादा व उनके वंशों से सम्बंधित है ।

वेली

राजओं की विरता व उदारता का वर्णन है ।

बात/कहानी/कथा

यह प्रेरणास्पद लोककंओं का लिखित रूप होता है ।
विगत इतिहास परख होता है ।

छावनी

डूॅगरजी जवाहरजी के गीत

रासो

इसमे राजाओं की विरता व अभियानों का वर्णन होता है ।

दवावते

अरबी फारसी राजस्थानी दोहे

मरस्या

शोक व मृत्यु के पश्चात लिखा गया ग्रन्थ

प्रकाश

किसी व्यक्ति की विशेष उपलब्धि पर लिखा जाता है ।
राजस्थानी भाषा के साहित्यकार एवं कृतियां

पृथ्वी राज रासो

इस ग्रन्थ के रचयिता चन्दर बरदायी है । तथा इसे पूर्ण जल्हण द्वारा किया गया था जो इनके पुत्र थे । यह डिंगल एवं पिंगल का मिश्रित भाषा का मिश्रित ग्रन्थ है।
यह ग्रन्थ 69 सर्गो मे विभक्त है तथा इसे उदयपुर मे थखा गया है ।

सुर्यमल्ल मिसण

सुर्यमल मिश्रण का जन्म 1815 ई . मे हरणां बुदी मे हुआ इनका उपनाम रसावतर था ।  इन्हे आधुनिक राजस्थानी साहित्य मे नवजागरण का पूरोध कवि कहते है ।
सूर्यमल्ल मिसण के ग्रन्थ

वंश भास्कर

25 सौ पृष्ठों वाला यह ग्रन्थ  1840 ई. मे लिखा गया था।
इस ग्रन्थ को विश्व कोशिय ऐतिहासिक ग्रन्थ माना  है ।
इसमे बुंदी राज्य का इतिहास वर्णित है ।

वीर सतसई

समय शिश पल्टी नामक पंक्ति से इस ग्रंथ की शुरूआत होती है ।
यह अंग्रेजो की दासता के विरूद्ध लिखा गया ग्रन्थ है ।
इसमे 1857 ई की क्रान्ति की घटनाओं का वर्णन है ।
इस ग्रन्थ को पूर्ण इनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने किया ।
(नोट:- यह दुसरा विरसत सई ग्रन्थ है पहल विर सतसई ग्रन्थ हरियोगी ने लिखा था अब तक तीन सतसई ग्रन्थ लिखे जा चूके है ।)

सर्यमल्ल मिश्रण अन्य रचनाएं

बलवन्त विलास
रतलामा के शासक बलवन्त का वर्णन है ।
छंद मयुक
धातु रूपावली
राम रंजार
सती रासौ

मेघराज मुकुल

मेघराज मुकुल का जन्म 1927 ई . मे चुरू हुआ था । इनका महत्वपूर्ण ग्रन्थ सैनाणी है । यह हाङी रानी व रतनसिंह से सम्बंधित रचना है।

विजयदान देथा

विजय दान देथा का जन्म 1926 मे बोरून्दा जोधपुर मे हुआ । इन्हे राजस्थान का शेक्सपियर कहते है ।
इनको 2002 मे बिहारी पुरस्कार, 2011 मे सीहा ऑवार्ड तथा 2012 मे राजस्थान रत्न पुरस्कार मिला ।
विजयदान देथा की कविताएं
1. फुलवारी री बात/बाता रीवफुलवारी
2. तीङै राव
3. अलेखु हिटलर

दुरसा आठा

यह अकबर के दरबार मे रहते थे ।
यह राजस्थान के एकमात्र साहित्यिकार थे जो अकबर के दरबार मे रहते हुए महाराणा प्रताप व चन्द्रसेन राठौङ की प्रशंसा मे रचनाएं लिखते है ।
दुरसा आठा की प्रमुख रचनाएँ
विरूद्ध छतहरी:-महाराणा प्रताप के शौर्य का वर्णन
किरतार
बावनी
कुमार अजाजीनी भूसर मोरिनी गजराज

कन्हैयालाल सेठिया

इनका जन्म 1919 मे सुजानगढ़ चुरू मे हुआ । इन्हे राजस्थानी भाषा का भिष्मपितामाह कहाँ जाता है । इनके जीवन की प्रथम रचना वनफुल है । लीलटास इनकी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना है । पाथल व पीथल तथा अग्निबाण इनकी प्रमुख रचना है ।
इनको 2012 मे राजस्थान रत्न पुरुस्कार दिया गया था ।

राजस्थान भाषा एवं साहित्य से सम्बंधित महत्वपूर्ण संस्थाएं

1. राजस्थानी भाषा साहित्य व संस्कृत अकादमी
जयपुर , स्थापना 1983 मे ।
2. राजस्थान संस्कृत अकादमी
जयपुर स्थापना 1981 मे ।
3. राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी
जयपुर स्थापना 1969 ।
4. प. झाबरमल शोध संस्थान
जयपुर, स्थापना 2000
5. राजस्थान प्राचिरणी सभा
जयपुर
6. राजस्थान उर्दू अकादमी
जयपुर स्थापना 1979 ई.
पत्रिक नखलिस्तान
7. राजस्थान सिंध अकादमी
जयपुर, स्थापना 1979
पत्रिका रिहाण व सिंधुदूत
8. राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी
जयपुर, स्थापना 1986
पत्रिका ब्रज सतदल
9. राजस्थान प्राच्च विद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर, स्थापना-1950(जयपुर)
1958 मे जोधपुर स्थानान्तरित।
10 जगदीश सिंह गहलोत शोध संस्थान
जोधपुर, स्थापना-1975
11. राजस्थानी शोध संस्थान
जोधपुर (चौपासनी) स्थापना-1955
पत्रिका-परम्परा
12. रूपायन संस्थान
जोधपुर (बोरन्दा), स्थापना 1960
पत्रिका-लोकसंस्कृति व मरूचक्र
13. राजस्थान ज्ञान अकादमी
बीकानेर,
पत्रिका-राजस्थान गंगा
14. राजस्थान राज्य अभिलेखागार
बीकानेर, स्थापना 1955
15. राजस्थान साहित्य अकादमी
उदयपुर, स्थापना-1958
16. मोलाना अबुल कलाम आजाद अरबी-फारसी शोध संस्थान
टोंक, स्थापना 1978
17. राजस्थानी पंजाब भाषा अकादमी
गंगानगर, स्थापना-2006
18. जैन विश्व भारती संस्थान
लाङनू नागौर
पत्रिका- तुलसी प्रज्ञा
19.श्री सरस्वती पुस्तकालय
फतेहपुर(सीकर)
(नोट:-सरस्वती पुस्तकालय उदयपुर मे है)
20. राजस्थानी भाषा बाल साहित्य प्रकाशन
लक्ष्मणगढ़ ।
अन्य पोस्ट
राजस्थान के लोक गीत 
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