राजस्थान के दुर्ग /किले । fort of rajasthan in hindi.
राजस्थान के राजामहाराजाओ ने आक्रमण क्रताओ से अपने राज्य की सुरक्षा के लिए अनेक दुर्ग(किलों ) का निर्माण करवाया। इन दुर्गो मे राजमहाराज, उनका परिवार, राज्य के सैनिक रहते थे ।
यह दुर्ग बहुत ही सुरक्षित स्थान पर बने होते थे जिसे दुश्मन द्वारा भेदा जाना आसान नहीं होता था ।राजशाही के दौरान दुर्ग बहुत महत्व रखते थे । आचार्य चाणक्य की पुस्तक अर्थशास्त्र मे उल्लेखित राज्य के सात महत्वपूर्ण अंगों मे से एक दुर्ग थे ।
शंकराचार्य शुक्र निति के अनुसार दुर्ग नौ प्रकार के होते है ।
राजस्थान के दुर्गो का वर्गीकरण
1. गिरी दुर्ग
यह दुर्ग ऊचे पर्वत या पहाङीयो पर बने हुए इन दुर्गों को सबसे सुरक्षित दुर्ग माना जाता है ।राजस्थान के मेहरानगढ, कुम्भलगढ, रणथंभौर दुर्ग गिरी दुर्ग मे आते है ।
2.वन दुर्ग
इस प्रकार के दुर्ग चारो ओर से घना जंगल , कांटेदार झाडियों एवं दलदली जमीन से घिरे होते है ।उदाहरण सिवाण का दुर्ग
3. जल दुर्ग या ओदक दुर्ग
यह किले चारो तरफ से पानी से घिरे होते है ।गागरिन का दुर्ग एक जल दुर्ग है ।
4.परिख दुर्ग
ऐसे दुर्ग जिनके चारो तरफ खाई होती है ।उदाहरण के लिए लोहागढ का किला
5.सहाय दुर्ग
ऐसे दुर्ग जिसके आस पास बन्धु रहते है जो आवश्यकता पङने पर सैनिको की मदद के लिए तत्पर रहते है ।6. सैन्य दुर्ग
इन दुर्गो की सैन्य दृष्टि से अभेद्य होती है वो सैन्य दुर्ग मे आते है ।7.धान्य दुर्ग
मरूस्थल मे स्थित ऐसे दुर्ग जो चारों ओर से रेत के धोरो अथवा टीलों से घिरे हो , धान्य दुर्ग कहलाते है।उदाहरण जैसलमेर का दुर्ग
8.परिध दुर्ग
ईट, पत्थरों आदि से बने हुए दुर्ग ।उदा . चित्तोङगढ का दुर्ग एवं कुम्भलगढ का दुर्ग।
9. परन दुर्ग
खाई , काटों पत्थरों से युक्त दुर्ग जहाँ पर इंसानो का पहुंचना मुश्किल हो ।राजस्थान के प्रमुख दुर्ग । rajasthan ke durg.
1. चित्तोङगढ दुर्ग
राजस्थान का सबसे प्राचीनत्म यह गिरी दुर्ग मेसा पठार पर स्थित है , चित्रानन्द मौर्य ने ने लगभग 8 वीं सदी मे इस दुर्ग का निर्माण करवाया था ।![]() |
चित्तोङगढ दुर्ग |
• यह दिल्ली से गुजरात जाने वाले मार्ग के मध्य स्थित है अतः इस पर समय समय पर आक्रमण होते रहे है ।
इस दुर्ग मे1303, 1504, व 1567-68 मे तीन साके हुए है ।
• इस दुर्ग मे नौ खण्डों एवं 120 फीट उंचाई वाला विजय स्तम्भ बना हुआ है ,जिसका निर्माण महाराणा कुंभा ने मालवा पर विजय प्राप्त करने की स्मृति मे करवाया था।
दुर्ग की पूर्वी दिवार के पास जैन कीर्ति स्तम्भ स्थित है ।
• दुर्ग मे सात प्रवेश द्वार है जिसका नाम क्रमशः
1.सूरज पोल
2. भैवर पोल
3. गणेश पोल
4. लक्ष्मण पोल
5.जौङन पोल
6. रामपोल
7त्रिपोल
• इस किले मे रतन सिंह की रानी पद्मनी का भव्य पद्मनी महल बना हुआ है ।
• दुर्ग मे मीराबाई और निलकण्ठ का मन्दिर स्थित है।
•सूर्य भगवान का सबसे प्राचीनत्म मंदिर इस चित्तोङगढ के दुर्ग मे है ।
• इसकी भैरव पोल के पास जमल राठौङ और कल्ला राठौङ की सतरियाॅ बनी हुई है।
2. कुम्भलगढ दुर्ग
राजसमन्द जिले की जराग पहाङियो पर स्थित कुम्भलगढ दुर्ग का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1458 ई. मे करवाया ।![]() |
कुम्भलगढ दुर्ग |
यह राजस्थान के सबसे सुरक्षित दुर्गों मे से एक है ।
दुर्ग के अन्दर एक अन्य छोटा कटारगढ दुर्ग बना हुआ है और इस लघु दुर्ग मे कुम्भा का महल बना हुआ है ।
पन्नाधाय ने उदय सिंह को बनवीर से बचाकर कुम्भलगढ दुर्ग मे भेजा था ।
उदय सिंह का राज्याभिषेक एवं महाराणा प्रताप का जन्म इसी दुर्ग मे हुआ था ।
4. गागरौण दुर्ग
• झालावाड़ जिले मे चम्बल की सहायक नदी आहू व कालिसिंधि नदी के संगम स्थित यह एक जल दुर्ग है ।• किले का निर्माण 11 वीं के सदी आसपास डोडिया राजपूतों द्वारा करवाया जाने का अनुमान लगाया जाता है।
• इस दुर्ग मे दुश्मन की सेना पर पत्थरों की वर्षा करने वाला विशाल तंत्र स्थापित है ।
गागरोण के इस दुर्ग मे जोहर कुण्ड, नक्कारजाना और मीठेशाही दरगा बनी हुई है ।
इस दुर्ग मे 1423 और1444 ई. मे दो शाके हुए थे ।
5. जैसलमेर का सोनार का किला
मरुस्थल मे स्थित इस दुर्ग का निर्माण कार्य 12 जुलाई 1155ई. मे महाराज जैसल ने शुरू करवाया और यह निर्माण का कार्य सात वर्ष मे सम्पन्न हुआ ।![]() |
सोनार का किला |
• जैसलमेर के इस किले की विशेषता यह है कि इसमे किसी भी प्रकार के चुने या फिर सीमेन्ट का प्रयोग नही हुआ है बल्कि इसमे पत्थरों को खाँचे करके जोङा गया है ।
• दुर्ग मे हाथ से लिखे हुए दुर्लभ ग्रन्थों का भण्डार है ।
• जैसलमेर का यह सोनार का किला ढाई शाके के लिए भी जाना जाता है।
• इस दुर्ग मे जैसूल कुआं , जैन मन्दिर और लक्ष्मण नाथ जी का मन्दिर बना हुआ है।
• जैसलमेर के इस दुर्ग पर 2005 मे 5 रूपये का डाक टिकट जारी किया गया था।
जालौर जिले की सोनगिरी पर्वतमाला पर स्थित इस दुर्ग का निर्माण 10वीं सदी मे धारावर्ष ने करवाया, जो कि एक परमार शासक थे ।
• इस किले मे संत मल्लिका शाह की दरगाह और परमारो के समय का किर्ति स्तम्भ बना हुआ है ।
जोधपुर जिले के मेहानगढ मे स्थित इस दुर्ग का निर्माण राव जोधा ने 1454 ई. करवाया था ।
• दुर्ग के प्रमुख प्रवेश द्वार लोहपोल का निर्माण मालदेव ने ,जयपोल का निर्माण मानसिंह एवं फतेह पोल का निर्माण अजित सिंह ने करवाया था ।
• मेहरानगढ के इस दुर्ग को मयूरध्वज गढ, चिन्तामणी, मिरिखढ दुर्ग आदि नामो से भी जाना जाता है ।
• इस दुर्ग मे कङक-बिजली , किल-किला, गजनीखान, शम्भूबाज, बागसवाहन, घुङधानी, बिच्छूबाण, गुब्बारा आदि प्रसिद्ध तोपे मौजूद है ।
यह पाली जिले की नानी सीरङी नामक पहाड़ी पर बना हुआ है ।
हनुमान गढ जिले मे स्थित इस किले का निर्माण तीसरी सदी के अन्त मे भाटी राजा भूपत ने करवाया।
इस दुर्ग पर 1001ई. मे महमूद गजनवी और 1398 ई. मे तैमूर शासक द्वारा आक्रमण किया गया।
रणथम्भौर दुर्ग राजस्थान के सवाई माधोपुर मे थंभ नामक पहाङी पर बना हुआ है ।
6. जालोर का दुर्ग
जालौर जिले की सोनगिरी पर्वतमाला पर स्थित इस दुर्ग का निर्माण 10वीं सदी मे धारावर्ष ने करवाया, जो कि एक परमार शासक थे ।
• इस किले मे संत मल्लिका शाह की दरगाह और परमारो के समय का किर्ति स्तम्भ बना हुआ है ।
जोधपुर दुर्ग या मेहरान गढ़ दुर्ग
जोधपुर जिले के मेहानगढ मे स्थित इस दुर्ग का निर्माण राव जोधा ने 1454 ई. करवाया था ।
• दुर्ग के प्रमुख प्रवेश द्वार लोहपोल का निर्माण मालदेव ने ,जयपोल का निर्माण मानसिंह एवं फतेह पोल का निर्माण अजित सिंह ने करवाया था ।
• मेहरानगढ के इस दुर्ग को मयूरध्वज गढ, चिन्तामणी, मिरिखढ दुर्ग आदि नामो से भी जाना जाता है ।
• इस दुर्ग मे कङक-बिजली , किल-किला, गजनीखान, शम्भूबाज, बागसवाहन, घुङधानी, बिच्छूबाण, गुब्बारा आदि प्रसिद्ध तोपे मौजूद है ।
7. सोजत का दुर्ग
यह पाली जिले की नानी सीरङी नामक पहाड़ी पर बना हुआ है ।
8. भटनेर दुर्ग
हनुमान गढ जिले मे स्थित इस किले का निर्माण तीसरी सदी के अन्त मे भाटी राजा भूपत ने करवाया।
इस दुर्ग पर 1001ई. मे महमूद गजनवी और 1398 ई. मे तैमूर शासक द्वारा आक्रमण किया गया।
9. रणथंभौर दुर्ग
रणथम्भौर दुर्ग राजस्थान के सवाई माधोपुर मे थंभ नामक पहाङी पर बना हुआ है ।
• इस दुर्ग की आकृति अण्डाकार है ।
• रणथम्भौर के इस दुर्ग को चित्तौड़गढ़ का छोटा भाई भी कहते है ।
• राजस्थान के इस दुर्ग मे 1301ई. मे राजस्थान का पहला शाका हुआ था ।
• जयपुर के इसी दुर्ग मे सबसे बडी तोप जयबाण रखी गयी है ।
• इस दुर्ग मे अनेक सुरंगे बनी हुई है और यह दुर्ग आमेर के दुर्ग से एक सुरंग द्वारा जुङा हुआ है।
10. जयगढ दुर्ग
जयपुर की चील की पहाड़ियों पर स्थित इस दुर्ग का निर्माण जयसिंह द्वितीय ने करवाया।• जयपुर के इसी दुर्ग मे सबसे बडी तोप जयबाण रखी गयी है ।
• इस दुर्ग मे अनेक सुरंगे बनी हुई है और यह दुर्ग आमेर के दुर्ग से एक सुरंग द्वारा जुङा हुआ है।
• इस दुर्ग मे विजय गढ़ी नामक छोटा महल बना हुआ है जिसमे आमेर के शासकों का शास्त्रग्रह बना हुआ है ।
जयपुर के आमेर मे स्थित इस गिरी दुर्ग का आधुनिक निर्माण मानसिंह प्रथम ने करवाया।
• यह दुर्ग आमेर की कालीखोत नामक पहाड़ी पर बना हुआ है ।
• इस दुर्ग को अम्बर, आम्बावती, अम्बिकापुर, आम्रदाद्रि आदि उपनामो से जाना जाता है।
जयपुर जिले मे स्थित इस दुर्ग का निर्माण 1734ई.मे सवाई जयसिंह द्वारा मराठो से बचाव के लिए करवाया था।
इस दुर्ग का नाम नाहर सिंह व्यक्ति के नाम पर रखा गया है, जो इस दुर्ग के निर्माण मे बाधा उत्पन्न कर रहा था ।
इस दुर्ग मे भगवान श्री कृष्ण का सुदर्शन धारण किए हुए मंदिर बना हुआ है , जिस कारण से इस दुर्ग को सुदर्शन गढ के नाम से भी जाना जाता है।
अजमेर जिले की बिढली पहाङी पर स्थित इस दुर्ग का निर्माण 1113ई. मे अजयराज चौहान द्वारा करवाया तथा इस दुर्ग का पुनः निर्माण पृथ्वी राज सिसोदिया ने करवाया।
इस दुर्ग को राजस्थान का ह्रदय, अरावली का अरमान, राजपूताना की कुंजी आदि उपनामो से जाना जाता है ।
राजस्थान का वेल्लोर कहे जाने वाला यह दुर्ग चित्तोङगढ जिले मे बामनी और चम्बल नदी के संगम पर बना हुआ है।
11. आमेर दुर्ग
जयपुर के आमेर मे स्थित इस गिरी दुर्ग का आधुनिक निर्माण मानसिंह प्रथम ने करवाया।
• यह दुर्ग आमेर की कालीखोत नामक पहाड़ी पर बना हुआ है ।
• इस दुर्ग को अम्बर, आम्बावती, अम्बिकापुर, आम्रदाद्रि आदि उपनामो से जाना जाता है।
12. नहारगढ दुर्ग
जयपुर जिले मे स्थित इस दुर्ग का निर्माण 1734ई.मे सवाई जयसिंह द्वारा मराठो से बचाव के लिए करवाया था।
इस दुर्ग का नाम नाहर सिंह व्यक्ति के नाम पर रखा गया है, जो इस दुर्ग के निर्माण मे बाधा उत्पन्न कर रहा था ।
इस दुर्ग मे भगवान श्री कृष्ण का सुदर्शन धारण किए हुए मंदिर बना हुआ है , जिस कारण से इस दुर्ग को सुदर्शन गढ के नाम से भी जाना जाता है।
13. तारागढ दुर्ग या अजयमेरू दुर्ग
अजमेर जिले की बिढली पहाङी पर स्थित इस दुर्ग का निर्माण 1113ई. मे अजयराज चौहान द्वारा करवाया तथा इस दुर्ग का पुनः निर्माण पृथ्वी राज सिसोदिया ने करवाया।
इस दुर्ग को राजस्थान का ह्रदय, अरावली का अरमान, राजपूताना की कुंजी आदि उपनामो से जाना जाता है ।
भैसरोङ गढ़ दुर्ग
राजस्थान का वेल्लोर कहे जाने वाला यह दुर्ग चित्तोङगढ जिले मे बामनी और चम्बल नदी के संगम पर बना हुआ है।
2013 मे विश्व धरोहर सूची मे सामिल राजस्थान के दुर्ग एवं याद करने की ट्रीक
चीकू गाजर आम
ची ‐ चित्तौड़गढ़
कू - कुम्भलगढ
गा - गागरोन
ज - जैसलमेर
र - रणथम्भौर
आम - आमेर