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राजस्थान की प्रमुख नहरे (rajasthan ki nahar priyojana).

राजस्थान की नहर एवं सिंचाई परियोजनाएं (rajasthan ki nahre and sinchai priyojana )

राजस्थान मे बहने वाली अधिकतर मौसमी नदियाँ है ऐसे मे वर्षा काल को छोङकर पूरे साल पेयजल एवं सिंचाई के हेतु जल संकट हमेशा बना रहता है । इन्ही समस्याओं के निवारण हुए राजस्थान मे नहरो की शुरुआत हुई ।
rajasthan ki nahre


राजस्थान के बीकानेर जिले एक भी नदी नही बहती है ऐसे मे वहां पर पेयजल संकट पूरे साल भर बना रहता है । इसी को देखते हुए बीकानेर रियासत के तत्कालीन महाराजा गंगासिंह ने गंग नहर की नींव 1921 मे रखी है । यह नहर राजस्थान की प्रथम नहर थी । गंगनहर के निर्माण के कारण गंगासिंह को आधुनिक भारत के भागीरथ कहा जाता है ।
आजादी के बाद राज्य मे कई छोटी बङी नहरो का विकास हुआ । जिसमे इन्दिरा गाँधी नहर (राजस्थान नहर) राजीव गांधी सिद्धमुख नहर, नर्मदा नहर , बिसलपुर नहर आदि प्रमुख है ।
बिसलपुर नहर राज की सबसे बङी पेयजल परियोजना है ।

राजस्थान की सिंचाई परियोजना

परिभाषा कृत्रिम तरीके से फसल मे पानी देना सिंचाई कहलाता है। 

सिंचाई परियोजनाओं की आवश्यकता 

वर्षा  मे कमी 

वर्षा की अनिश्चितता व अनियमितता

भूमिगत जल के स्तर का गिरना 

सतहीवजल का अभाव 

सिंचाई परियोजनाओं का वर्गीकरण/सिचाई परिंयोजना का प्रकार

1बहुउददेश्य सिंचाई परियोजना 

2 वृहद सिंचाई परियोजना

3 मध्यम एव लघु सिंचाई परियोजना

बहुउद्देश्य सिंचाई परियोजना

ऐसे सिंचाई परियोजनाओं जिनके निर्माण के उद्देश्य अनेक हो तो इस प्रकार की सिंचाई परियोजना बहुउद्देश्यी परियोजनाऐ कहलती है ।

बाढ  पर नियंत्रण 

विधुत उत्पादन

सिंचाई 

जैव विविधता संरक्षण

1. भाखङा नागल परियोजना 

इस सिंचाई परियोजना का उद्घाटन पंण्डित जवारलाल नेहरू ने 22 अक्टूबर 1963 मे किया तथा यह राजस्थान हरियाणा और पंजाब की संयुक्त परियोजना है ।

भाकङा बांध 

इस प्रयोजना के लिए सर्वप्रथम सतलज नदी पर बिलासपुर हिमाचल प्रदेश मे भाखङा बाध बनाया गया। 

यह गुरुत्व की दृष्टि से विश्व का सबसे सबसे उच्चा बांध है ।

नागल बांध 

भाखङा बाध से 13 किलोमीटर आगे सतलज नदी पर रोपङ पंजाब मे नागल बाध बना हुआ है ।

नागल बाध से दो नहरे निकाली गई है ।

1. बिस्त दो आब नहर

इस नहर से केवल पंजाब मे सिंचाई होती है ।

2 नागल नहर

इस नहर से राजस्थान पंजाब, हरियाणा व राजस्थान तीन राज्यो मे सिंचाई होती है ।

इस नहर से राजस्थान मे 2.3 लाख हैक्टर भु-भाग पर हनुमानगढ़ मे सिंचाई होती है ।

राजस्थान मे इस परियोजना से 15. 22% विधुत प्राप्त होती है ।

Note: इस परियोजना के उद्घाटन के समय पं. जवाहरलाल नेहरू ने बहुउद्देश्यी सिंचाई परियोजनाओं आधुनिक भारत के मन्दिर  तथा भाखङा नागल परियोजना को चमत्कारी विराट वस्तू बताया था ।

व्यास परियोजना

व्यास नदी पर बनी यह परियोजना पंजाब, हरियाणा एव राजस्थान की पंरियोजना है ।

इस परियोजन के लिए सर्वप्रथम इराडी आयोग का गठन हुआ जिसका उद्देश्य रावी और व्यास नदी के अतिरिक्त पानी का उपयोग करना था ।

इस परियोजना के तहत व्यास नदी पर दो बाध बनाए गए 

देहर/ पडोर बांध 

यह बाध हिमाचल प्रदेश मे बना हुआ है तथा इसका 20 % भाग राजस्थान के हिस्से मे आता है ।

पोंग बाध

यह बाध भी हिमाचल प्रदेश मे बना हुआ है तथा इसका 59% भाग राजस्थान के हिस्से मे आता है ।

व्यास परियोजना से पोग बांध एव देहर बाध से दो नहरे निकली गई जिन्हे आगे ले जाकर इन्दिरा गांधी नहर मे मिला दिया गया ।

इन दोनो नहरो से शीतकाल मे इन्दिरा गांधी नहर मे अतिरिक्त जल की आपूर्ति की जाती है । क्योकि शीतकाल मे बीकानेर, हनुमान गढ़ और श्रीगंगानगर मे गेहूँ की खेती की जाती है जिसमे अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है ।

चम्बल परियोजना

यह चंबल नदी पर बनी राजस्थान व मध्य प्रदेश की सयुक्त परियोजना है तथा इसमे दोनो राज्यो का 50-50% हिस्सा आता है । इस परियोजना का उद्घाटन 1953-54 मे तथा इसक  विकास तीन चरणो मे हुआ ।

प्रथम चरण

प्रथम चरण के तहत गांधी सागर एव कोटा बैराज बांध बनाए गए ।

गाँधी सागर बाँध 

इस बाध का निर्माण 1960 ई मे हुआ ।

इस बाध से 115 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है ।

कोटा बैराज

इस बाध से केवल सिंचाई होती है विधुत का उत्पादन नही होता है ।

इस बांध का केचमेंट सबसे बङा है ।

इस बाध दायीं ओर 8 लिफ्ट नहरे निकाली गई है जिससे कोटा और मध्य प्रदेश तक सिंचाई होती है ।

बाँध के बायीं ओर से कोटो और बूंदी नहरे निकाली गई गयी है  ।

द्वितीय चरण

राणा प्रताप सागर बाध 

यह बाध रावतभाटा चित्तौड़गढ़ मे बना हुआ है तथा इसका निर्माण 1970 मे हुआ ।

तृतीय चरण

जवाहर सागर बांध 

बोरावास कोटा मे बने इस बांध का निर्माण 1972 मे हुआ ।

इस बांध से 99 मेगावाट विद्युत उत्पादित होती है ।

माही बजाज सागर परियोजना 

माही नदी पर बनी इस परियोजना के तहत तीन बाध बने हुए जिसमे से दो राजस्थान मे व एक गुजरात मे है ।

Mahi bajaj sager nahar priyojana map in hindi

माही बजाज सागर बाँध 

यह बाँध बोरखेङा बासवाङा मे बना हुआ है तथा इसे 1983 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। 

इसमें राजस्थान का 45% व गुजरात का 55%  हिस्सा आता है ।

इस बांध से राजस्थान मे डूंगरपुर, प्रतापगढ़ व बांसवाड़ा मे सिंचाई होती है ।

इस बाध से 140 मेगावाट विद्युत उत्पादित होती है जो समस्त राजस्थान को प्राप्त होती है ।

कागजी बाँध 

यह बाँध भीखाभाई सागवाङा मे बना हुआ है तथा इससे आनन्द नहर निकलती है ।

  कडाना बाँध 

यह गुजरात मे तथा पूर्ण रूप से गुजरात का है ।

राजस्थान की नहरे/canals of rajasthan. (rajasthan ki nahre)

राजस्थान मे वृहद सिंचाई परियोजनाऐ

1. गंगनहर

4 सितम्बर 1920 को पंजाब, बहावलपूर व बीकानेर रियासतो के मध्य एक समझौता हुआ जिसमे बीकानेर रियासत के लिए "सतलज नदी" पर एक नहर का निर्माण किया जाएगा । इसके बाद 5 सिम्बर 1921 मे बीकानेर रियासत के महाराजा गंगसिंह ने हुसैनीवाल, फीरोजपुर (पंजाब ) मे गंग नहर की नींव रखी ।

गंग नहर का निर्माण 1922 से 1927 मे मध्य हुआ तथा पंजाब से 112 किलोमीटर दुरी तय करते हुए राजस्थान मे गंगानगर नगर जिले के खखा गाँव से प्रवेश कर शिवपुर हैड तक आती है । 

इस नहर का उद्घाटन 26 अक्टूबर 1927 मे भारत के तत्कालीन गवर्नर लार्ड ईरवीन द्वारा किया गया  ।

पंजाब से शिवपुर हैड तक गंगनहर की लम्बाई 129 किलोमीटर है जिसमे से 112km पंजाब मे व 17 किलोमीटर राजस्थान मे है वर्तमान मे नहर इस  लम्बाई 

292 km है ।

शिवपुर हैड से इस नहर की कुछ शाखाऐ निकाली गई है । तब शाखाओं सहित इस नहर की कुल लम्बाई 1280 किलोमीटर है ।

गंगनहर की उपशाखाएँ 

करण जी शाखा

लालगढ शाखा

लक्ष्मी जी/लक्ष्मीनारायण शाखा

समीजा/समीक्षा शाखा 

गंग नहर के उपनाम

Life line of sriganganger 

बीकानेर केनाला

गंगनहर के आधुनिक के लिए 31 may 2000 को केन्द्रीय आयोग ने स्वीकृति दी जो 2008 मे पूर्ण हुई ।

गंगनहर परियोजना राजस्थान की पहली सिंचाई परियोजना है  ।

लिंक नहर

इस नहर का निर्माण  15 फरवरी 1984 ई. को किया तथा यह नहर श्रीगंगानगर के निकट गंगनहर मे मिल जाती है ।
इस नहर की कुल लम्बाई 76 किलोमीटर है जिसमे से 6 किलोमीटर हरियाणा व 70 किलोमीटर राजस्थान मे है ।
इस नहर मे जलापूर्ति INGP द्वारा होती है ।

इंदिरा गांधी नहर (IGNP)

सर्वप्रथम  बीकानेर के महाराजा शार्दुल सिंह ने एक नया सिंचाई बनाया जिसका अध्यक्ष इंजीनियर कवर सेन को बनाया गया जिसने गंगनहर से प्रेरणा लेकर सन् 1948 मे केन्द्र सरकार को बिकानेर रियासत हेतू पेयजल की आपूर्ति के लिए पत्र लिखा और उसमे कवर सेन ने सुझाव दिया की सतलज एवं व्यास नदी पर नहर का निर्माण किया जा सकता है । इस सुझाव को सरकार ने मान लिया तथा सन् 1952 ई. मे हैरिके बैराज बांध, फिरोजपुर (पंजाब) से इसका कार्य प्रारंभ कीया ।
Indra gadhi nahar map in hindi


1954 से 1956 मे इस नहर का सर्वेक्षण कार्य किया गया तथा 31 मार्च 1958 मे इस नहर की नींव तत्कालीन मंत्री वल्भ पंत द्वारा रखी गई।  तथा 1961 ई मे देश के उपराष्ट्रपति डा. सर्वपली राधाकृष्णन ने नोहरंग देशर (हनुमानगढ) मे इस नहर के पानी का उद्घाटन किया ।
यह नहर पंजाब, हरियाणा होते हुए टिब्ब हनुमानगढ से राजस्थान मे प्रवेश करती है ।
इस नहर का पहले नाम राजस्थान नहर था इसके बाद 2 नवम्बर 1984 मे नहर का नाम इन्दिरा गांधी नहर परियोजना(IGNP) कर दिया ।
इन्दिरा गाँधी नहर का निर्माण दो चरणों मे पूर्ण हुआ।
प्रथम चरण
IGNP के निर्माण के प्रथम चरण हैरिके बैराज से मसितावाला हैड हनुमानगढ़ तक  राजस्थान फिडर नहर का निर्माण कीया गया । राजस्थान फिडर नहर की लम्बाई 204 किलोमीटर है , जिसमे से 150 किलोमीटर पंजाब, 19 किलोमीटर हरियाणा तथा 35 किलोमीटर लम्बाई राजस्थान मे ।
द्वितीय चरण
द्वितीय चरण मे मसितावाला हैड से मोहनगढ बिकानेर तक इस नहर को बढाया गया जिसकी लम्बाई 445 किलोमीटर है । जिससे हैरिके बैराज से  मोहनगढ़ तक इस नहर की कुल लम्बाई  (204+445) 649 किलोमीटर हो जाती है। वर्तमान मे यह नह गढरा रोड बाङमेर तक जाती है और इस नहर की कुल लम्बाई 814 किलोमीटर हो जाती है ।
लिफ्ट नहर(lift nahar)
इन्दिरा गाँधी नहर पर लिफ्ट नहरे बनाने की योजना  1963 मे बनी  और प्रथम लिफ्ट नहर 1968 मे लूणकरणसर लिफ्ट नहर बीकानेर मे बनी जिसका नया नाम कवर सेन लिफ्ट नहर है ।
दिसम्बर 1986 मे नहर निर्माण का द्वितीय चरण पूर्ण हुआ और वर्तमान मे इस नहर से लगभग 16.17 लाख हेक्टर भूमि पर सिंचाई की जाती है ।

इन्दिरा गांधी नहर की प्रमुख शाखाऐ

इन्दिरा गाँधी नहर पर कुल नो शाखाऐ है ।
1. रावतसर शाखा(हनुमागढ़)
यह IGNP से बांयी ओर निकलने वाली एकमात्र शाखा है ।
2.सुरतगढ(श्रीगंगानगर)
3. अनुपगढ(श्रीगंगानगर)
4. पुंगल (बीकानेर)
5 दातोर(बीकानेर)
6.बीसलपुर(बीकानेर)
7.चारण वाला(बीकानेर, जैसलमेर)
8.शहीद बीरबल शाखा (जैसलमेर)
9.सागरमल गोपा (जैसलमेर)

IGNP की लिफ्ट नहरे (IGNP ki lift nahar)

मुल रूप से IGPN की 7 लिफ्ट नहरे है और वर्तमान मे दो लिफ्ट नहरे प्रस्तावित है।
1. गंधेली-साहवा/चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर
हनुमानगढ, चुरू, बीकानेर, झुन्झुनू
2. लणकरणसर/कंवरसेन लिफ्ट नहर
सबसे लम्बी लिफ्ट नहर
बीकानेर
3. बांगडसर/वीर तेजाजी लिफ्ट नहर
सबसे छोटी लिफ्ट नहर
बीकानेर
4. गजनेर/पनूनालाल-बारूपाल लिफ्ट नहर
बीकानेर, नागौर
5.कोलायत/करणी सिंह लिफ्ट नहर
बीकानेर जौधपुर
6. फलौदी/गुरू जम्भेश्वर लिफ्ट नहर
जोधपुर, बीकानेर
8 .भैरूदान चालानी(जैसलमेर)
प्रस्तावित
9.पोकरण/जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर
जैसलमेर,  बाङमेर
IGNP नहर से लाभान्वित जिले
इंदिरा गांधी नहर से राजस्थान के आठ जिलो बीकानेर,गंगानगर,जैसलमेर, बाञमेर ,चुरू,नागौर, जौधपुर मे सिंचाई और झुन्झुनू व सीकर जिलो मे पेयजल आपूर्ति होती है ।

सेम की समस्या

लगातार सिंचाई करने से इन्दिरा गांधी नहर के आस पास सेम की समस्या उत्पन्न हो गयी है । यह सर्वाधिक बङोपोल हनुमानगढ मे है तथा इसके निवारण हेतू इण्डो डस जल निकासी कार्यक्रम संचालन कीया गया है ।

नर्मदा नहर

इस नहर की शुरूआत सन् 2008 मे हुई।  यह राजस्थान की एक मात्र नहर है जिसमे सिंचाई फव्वारा विधि/बूंद-बूंद विधि/इजरायली पद्धति से होती है ।
सरदार सरोवर बांध गुजरात से निकलने वाली यह  नहर राजस्थान मे जालौर जिले के शीलू गाव से प्रवेश करती है और गुङा मालानी बाङमेर तक जाती है । बाङमेर मे इस नहर से सिंचाई करने के लिए भादवा और पनरवा नहरे निकाली गई है ।
नर्मदा नहर से जालौर और बाङमेर जिले लाभान्वित होते है ।

नर्मदा नहर की लिफ्ट नहरे(nrmda nahar ki lift nahre in rajasthan)

1. संचौर लिफ्ट नहर
2. भादरेया लिफ्ट नहर(बाङमेर)
3. पनोरिया लिफ्ट नहर

राजीव गांधी सिद्धमुख नहर/नोहर परियोजना

सन् 1985 मे रावी व व्यास नदी के अतिरिक्त पानी का उपयोग करने के लिए राजीव गांधी और लौगेवाला के मध्य समझौता हुआ तथा इस नहर का शिलान्यास 1989 मे राजीव गांधी द्वारा कीया गया।
राजीव गांधी सिद्धमुख नहर का लोकापर्ण 2002 मे हनुमानगढ जिले के भीरानी गांव मे सोनिया गाँधी द्वारा किया गया।
शुरूआत मे इस नहर का निर्माण विदेशी सहयोग यूरोपियन संघ द्वारा किया गया था लेकिन 1998 मे यूरोपियन संघ द्वारा आर्थिक सहयोग बन्द कर दिया गया व इसके बाद से "नाबाई" द्वारा संचालित है।
इस नहर से हनुमानगढ एवं चुरू जिले लाभान्वित होते है ।
बिसलपुर नहर परियोजना टोंक
बनास नदी पर संचालित यह नहर परियोजना राजस्थान की सबसे बङी पेयजल परियोजना है ।

राजस्थान की मध्यम एवं लुघु सिंचाई परियोजनाऐ

क्रमशः सिंचाई परियोजना का नाम लाभान्वित जिले
1. कालिसिन्ध झालावाङ
2. चोली/चवली झालावाङ
3. मोरेन परियोजना दौसा, सवाई माधोपुर
4. अजान बांध भरतपुर
5. नारायण सागर बांध परियोजना अजमेर
6. मोरा सागर परियोजना सवाई माधोपुर
7. राजगढ परियोजना झालावाङ
8. सावन भादो परियोजना कोटा
9. बतीसा नाल परियोजना सिरोही
10. जल सागर परियोजना चित्तौड़गढ़
11. उर्मिला सागर परियोजना भिलवाङा
12. बांकली बांध परियोजना जालौर
13. ईसरदा परियोजना सवाई माधोपुर
14. इन्दिरा गाँधी लिफ्ट(चम्बल नदी पर) सवाई माधोपुर
15. जाखम परियोजना प्रतापगढ


राजस्थान की सिंचाई परियोजनाओं से सम्बंधित प्रश्न(rajasthan sinchai priyojana question)

1. किस परियोजना मे, राजस्थान मे जल संरक्षण हेतु प्रथम बार फव्वारा  सिंचाई पद्धति को अनिवार्य रूप से लागू किया गया है?
नर्मदा नहर परियोजना
2.सोम कमला अम्बा परियोजना किस जिले से संबंधित है ?
डूंगरपुर
3.इन्दिरा गांधी नहर से चुरू जिले को पेयजल आपूर्ति कराने हेतू क्रियान्वित योजना है ।
कंवर सेन लिफ्ट नहर
4. इराडी आयोग का गठन कब हुआ ?
1986 मे ।
5.विश्व की सबसे बङी सिंचाई परियोजना कौनसी है ?
इन्दिरा गांधी नहर परियोजना(IGNP)
6.IGPN द्वारा राजस्थान के कितने क्षेत्र मे सिंचाई होती है?
16.17 लाख हेक्टेयर भूमि पर ।
7.सेम की समस्या के निवारण हेतु किस पौधे को लगाया जाता है ?
सफेदा(यूकेलिप्ट्स)


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