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अरावली पर्वत माला ऊंची चोटीया, पर्वत, स्थित एवं विस्तार राजस्थान जीके ।

राजस्थान मे अरावली पर्वत माला का विस्तार, चोटिया, पर्वत एवं पहाड़ीया (aravali parvat mala in rajasthan)

विश्व की सबसे प्राचीनतम पर्वत माला "अरावली" के उत्पत्ति का समय आज से लगभग 45000 लाख वर्ष पूर प्री क्रैम्बियन काल मे हुई है । इस पर्वतमाला माला की उत्पति अरब सागर से होती है परन्तु यह स्थलीय भाग पर सर्वप्रथम खेङब्रह्म पालपुर गुजरात से दिखाई देती है । यह अरावली पर्वत माला खेङब्रह्म पालनपुर से शुरू होकर रायसीन की पहाङी दिल्ली तक फैली हुई है । इन्ही रायसीन की पहाङीयो पर भारत का राष्ट्रपति भवन और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय स्थित है ।

अरावली पर्वत माला(aravli)

अरावली  का अर्थ चोटियो की पक्तिया है । पूर्व मे यह पर्वत माला वलयकार और प्रारंभ मे इसकी ऊंचाई लगभग 2700मीटर से 2800मीटर तक थी परन्तु वर्तमान मे अरावली पर्वत माला का अवशिष्ट स्वरूप है और इसकी औसत उँचाई 930 मीटर है । अरवाली पर्वत माल का धीरे-धीरे अपरदन हो रहा है ।

अरावली पर्वतमाला का विस्तार

अरावली पर्वत माला भारत तीन राज्यो गुजरात(खेङब्रह्म) , राजस्थान हरियाणा और एक केन्द्र शासित प्रदेश नई दिल्ली(रायसीन की पहाङी) तक फैली हुई  है । इसकी कुल लम्बाई 692 किलोमीटर है । यह कही पर कट्टी-फट्टी तो कई पर लगातार पंक्तियाँ के रूप मे । अरावली की दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर है ।

राजस्थान मे अरावली पर्वत माला का विस्तार (अरावली पर्वत इन राजस्थान)

अरावली पर्वत माला राजस्थान मे माउण्ट आबू सिरोही से प्रवेश करती है तथा इसका अन्तिम बिन्दु सिंघाना गांव खेतङी तहसील झुन्झुनू है । (कही पुस्तको मे राजस्थान मे इसका अन्तिम बिन्दु ढोसी की पहाङी झुन्झुनू मिलता है चूंकि ढोसी गांव आधा राजस्थान मे व आधा हरियाणा मे है इसलिए सिंघान गाँव को अन्तिम बिन्दुमाना जाता है )राजस्थान मे इस पर्वत माला की उचाई दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर जाने पर घटती है ओर उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर जाने पर बढती है । राजस्थान मे इस पर्वतमाल की लम्बाई 550 किलोमीटर है जो कि कुल अरावली पर्वत माला का लगभग 80% है । तथा राजस्थान के कुल क्षेत्रफल के 9% भाग पर अरावली पर्वत माला फैली हुई है जिस पर राजस्थान की 10% जनसंख्या निवास करती है । यहा लगभग 50 से 80 सेमी औसत वार्षिक वर्षा होती है  ।
अरावली पर्वत माला मैप


राजस्थान मे अरावली पर्वत माला का अक्षांशीय विस्तार  23°20' उत्तरी अक्षांश से 28°20उत्तरी अक्षांश तथा देशांतरिय विस्तार 72°10' पूर्वी देशान्तर से 77°20 ' उत्तरी देशान्तर है ।
अरावली पर्वत माला की विशेषता
अरावली पर्वत माला राजस्थान को दो भागो मे विभाजित करती है जिसके एक तरफ पश्चिम मरूस्थल तो दुसरी तरफ मैदानी और पठारी प्रदेश है । यह पर्वत माला मरूस्थल के प्रचार को रोकती है, लेकिन इसमे कुछ अन्तराल पाये जाते है जिसके कारण मरूस्थल का प्रचार अरावली के दुसरी तरफ भी हो रहा है ।
अरावली पर्वत माला को खनीजो का अजायब घर कहते है, इसमे प्रकार के धात्विक खनिजो की प्रधानता है , लेकिन उर्जा संसाधनों का अभाव है ।
अरावली पर्वत माला से राजस्थान की अधिकांश छोटी बङी नदियों की उद्गम स्थली है जैसे लूनी, कातली, सूकङी, बाण्डी, बनास, बाणगंगा...आदि ।
अरावली पर्वत माला मे सर्वाधिक जैव विविधता मिलती है , इसी कारण से राजस्थान के अधिकांश वन्य जीव अभ्यारण्य इसी आरावली मे है। इसी के कारण राजस्थान का पूर्वी मैदानी भाग अधिक उपजाऊ है जिससे पूर्वी मैदानी भाग को राजस्थान का अन्न का कटोरा कहा जाता है ।
अबुल फजल ने इसकी तुलना उंट की गर्दन से की है और अग्रेज अधिकारी कर्नल जेम्स टाॅङ ने इसे राजपुताना  की सुरक्षा दिवार बताया  ।
वर्तमान मे अरावली पर्वत माला का स्वरूप अवशिष्ट (घिसा हुआ) है जिसका मुख्यतः कारण अपरदन एवं अपक्ष्य है और इसी आनाच्छादन के कारण अरावली मे अन्तराल विधिमान है, इन अन्तरालो को घाटी या दर्रे कहा जाता है ।
पर्वत माला का सर्वाधिक विस्तार उदपुर मे है और कटी-फट्टी और कम विस्तार अजमेर मे । और इसी सर्वाधिक एवं कम उंचाई क्रमशः सिरोही, पुष्कर (सांभर झील ) है ।
इसी अरावली पर्वत माला पर राजस्थान की प्राचीन सभ्यताऐ आहङ, गिलूण्ड, बैराठ,गणेश्वर बची हुई थी  ।

अरावली पर्तमाला के प्रभाव

यह राजस्थान की जलवायु और वर्षा स्वरूप को प्रभावित करती है। दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर से आने वाली मानसूनी हवाऐ अरावली के समान्त गुजर जाती है जिससे पश्चिम राजस्थान मे कम वर्षा होती है और बंगाल की खाङी से अने वाली हवाएं हिमालय से टक्कराकर पश्चिम की ओर चलना प्रारम्भ कर देती है और पुनः अरावली से टक्कराकर राजस्थान के पूर्वी भाग मे वर्षा कर देती है और पश्चिमी राजस्थान सूखा रह जाता है ।

अरावली पर्वत माला का विभाजन

अध्ययन की सुविधाएं के लिए राजस्थान मे अरावली पर्वत माला को हम तीन भागो मे विभाजित कर सकते है ।

उत्तरी अरावली

उत्तरी अरावली राजस्थान के ढोसी की पहाङी या सिंघाना गांव खेतङी जुन्झुनू से सांभर झील तक फैली हुई है । इसकी समुद्र तल से औसत उंचाई 450 मीटर है तथा विस्तार झुन्झुनू, सीकर, अलवर और जयपुर जिलो मे है ।
सीकर मे अरावली की पहाड़ियों का स्थानी नाम मालखेत है और इसी भालखेत की पहाङी पर जीण माता का मन्दिर, हर्ष नाथ जी का मन्दिर और पवन ऊर्जा संयंत्र तथा राजस्थान का पहला पैराग्लैण्डिग सेन्टर स्थापित है ।
उत्तरी अरावली की सबसे ऊंची चोटी का नाम रघुनाथगढ है ।

मध्य अरावली

राजस्थान मे मध्य अरावली का विस्तार साम्भर झील से देवगढ राजसमन्द तक फैली हुई है मध्य अरावली की औसत उंचाई 550 मीटर है । यह अरावली की सबसे संकीर्ण और सर्वाधिक अन्तरालो वाली श्रेणी है । इन्हीं अन्तरालो के कारण मरूस्थल का विस्तार राजस्थान के पूर्वी भागो मे भी  हो रहा है । यह अन्तराल घाटी कहलाते है ।
मध्य अरावली के विस्तार के जिले अजमेर, भीलवाङा, राजसमन्द है ।

दक्षिण अरावली

सर्वाधिक उंचाई एवं विस्तार वाली यह श्रेणी देवगढ़ राजसमन्द से माउंट आबू सिरोही तक फैली हुई । दक्षिण अरावली एवं अरावली पर्वत माला की सबसे ऊंची चोटी गुरूशिखर है जिसकी समुद्र तल से उचाई 1722 मीटर है ।
दक्षिण अरावली को पुनः दो भागों मे विभाजित किया जाता है:-
1. आबू खण्ड
इसकी सबसे उंची छोटी का नाम गुरूशिखर है ।
2मेवाङ पठार
मेवाङ पठार की सबसे उची छोटी का नाम जरगा(उदयपुर) है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 1431 मीटर है ।

अरावली पर्वत माला की प्रमुख चोटिया ।

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क्रमशः उत्तरी अरावली मध्य अरावली दक्षिण अरावली
1. रघुनाथगढ़ 1055 मीटर मोरामजी(अजमेर) 934 मीटर गुरूशिखर(सिरोही) 1722 मीटर
2. मालखेत(सीकर) 1052 मीटर तारागढ (अजमेर) 872/73 मीटर सेर (सिरोही) 1592 मीटर
3. लोहार्गल(झुन्झुनूं) 1052 मीटर नाग पहाड़ी (अजमेर) 795 मीटर दिलवाङा(सिरोही) 1442 मीटर
4. भेजागढ(झुन्झुनू) 997 मीटर - जरगा(उदयपुर) 1431 मीटर
5. खोह (जयपुर) 980 मीटर - अचलगढ(सिरोही) 1380 मीटर
6. भौराच(अलवर) 792 मीटर - आबूखण्ड(सिरोही) 1295 मीटर
7. बरवाङा(जयपुर) 786 मीटर - कुम्भलगढ(राजसमन्द) 1224 मीटर
8. बबाई(झुन्झुनू) 780 मीटर - ऋषिकेश(सिरोही) 1017 मीटर
9. बिलाली (अलवर) 774 मीटर - कमलनाथ(उदयपुर) 1000 मीटर

10. मनोरथा (जयपुर) 747 मीटर - सज्जजनगढ (उदयपुर) 938 मीटर 11. बैराठ(जयपुर) 704 मीटर - - 

अरावली पर्वत माला के प्रमुख दर्रे/नाल

पर्वतो के मध्य नीचा और तंग रास्ता जो दोनों ओर के स्थानो को जोङता है ,उसे नाल या दर्रे कहते है ।
1. जीलवाङा की नाल/पगल्या की नाल
पाली मे स्थित है, मारवाड़ को मेवाङ से जोङती है ।
2. सोमेश्वर की नाल- पाली
3. हाथीगुढ़ा की नाल-पाली
4. देसूरी की नाल- पाली
5. केवङा की नाल- उदयपुर
6. फुलवारी को नाल- उदयपुर
7. गोरमघाट- राजसमन्द
8. खामलीखाट- राजसमन्द
8. बर दर्रा- पाली
10. पीपली को नाल- सिरोही
11. हल्दी घाटी की नाल- राजसमन्द

अरावली पर्वत माला के प्रमुख पर्वत एवं पठार

1. उङिया का पठार
उङिया का पठार राजस्थान का सबसे ऊंचा पठार है और यह  गुरू शिखर सिरोही मे स्थित है ।
2. भोराठ का पठार
भोराठ का पठार गोगून्दा से कुम्भलगढ़(राजसमन्द) विस्तारित है । यह पठार राजस्था मे नदियों के अपवाह तंत्र को दो भागो मे विभाजित करता है । इसके पूर्व मे बहने वाली नदियाँ बंगाल की खाङी मे गिरती है जबकी पश्चिम मे बहने वाली नदिया अरब सागर मे गिरती है ।
3. भोमट का पठार
भोमट का पठार सिरोही, उदयपुर और डुंगरपुर जिलो मे फैला हुआ है ।
4. देशहरी
रागा व जरगा पहाङीयो के बीच मे हरा-भरा स्थान है जिसे देशहरो कहते है ।
6. गिरवा पहाड़ी
उदयपुर मे स्थित गिरवा पहाङी पहाङीयो की मेखला एवं तश्तरीनुमा आकृति की पहाङी है ।
6. ऊपरमाला का पठार
यह बिजौलिया भीलवाड़ा से भैसरोडगढ चित्तोङगढ तक फैला हुआ है ।
8. रत्नागीरी पहाङी
रत्नागिरी की पहाङी पुष्कर अजमेर मे है यहा पर सावित्री माता का मन्दिर और रोपवे 3rd स्थित है ।
9. भाकर
सिरोङी मे उबङ-खाबङ पर्वतीय प्रदेशों को भाकर कहा जाता है ।
10  आङावाला पर्वत
बूंदी मे अरावली की पहाड़ियों को कहा जाता है ।
11. मेरवाङ
अजमेर और राजसमन्द के मध्य की पहाङीयो का कहा जाता है
12. सुन्धा पर्वत
सुन्धा पर्वत जालौर जिले मे स्थित है । इन पहाङी की चोटी पर सुन्धा माता का मन्दिर बना हुआ है । इसके अलावा यहा भालू अभ्यारण्य है ।
13. भंवर माता की पहाङी
भंवर माता की पहाङी डूंगरपुर मे स्थित है यहीं से जाखम नदी निकलती है ।
अरवली की अन्य पहाड़ीया एवं उनकी स्थति
12 . छ्प्पन का पर्वत उदयपुर मे
13. छप्पन की पहाङी बाङमेर मे
14. हर्षनाथ की पहाङी अलवर
15. उदयनाथ की पहाङी अलवर
16. पालखेत की पहाङी झुन्झुनू
17. मालखेएत की पहाड़ी सीकर
18. क्रांसका व कांकनवाङी पठार अलवर
19. लसाङिया पठार उदयपुर मे ।
20. त्रिकुट पर्वत करौली
21. ईसराना का भाकर जालौर
22.रोजा भाकर जालौर
23. झारोला भाकर जालौर
24. जसवन्त पुरा पहाङी जालौर
25. मानगगढ़ पहाङी बांसवाडा
26. किलिजरा पहाङी बांसवाडा
27. मोती ङुगरी जयपुर
28. झालाना ङुगरी जयपुर
29. बीजक ङुगरी जयपुर
30. भीम ङुगरी जयपुर
31. महादेव ङुगरी जयपुर
32. गणेश ङुगरी जयपुर
33. सेवर  ङुगरी जयपुर
34. मुंकुदवाङा पहाङी कोटा ,झालावाङ
35. नाकोङा पर्वत बाङमेर
36. मालाणी पर्वत बाङमेर
37. लौहार्गल पहाङी झुन्झुनू
38. देवगिरी पहाङी दौसा
39. नानी सीरङी पहाङी दौसा
40.नाग पहाङी अजमेर
41. कुण्डल पहाङी कोटा
42. बीजक पहाङियाॅ
43. माण्डलगढ भीलवाड़ा के मध्य की पहाङी
44.नैन पहाङी भरतपुर
45.भामती पहाङी शाहबाद बारां
46.कूकरा पहाङी अजमेर
47. ऐसाराणा पर्वत पाली

अरावली पर्वत माला से सम्बंधित प्रश्न ।

Q.

1. राजस्थान मे अरावली पर्वत माला कहाँ से कहा तक है ?

राजस्थान मे अरावली पर्वत माला का विस्तार माउंट आबू सिरोही से सिंघाना गाँव खेतङी तहसील झुन्झुनू तक है ।
Q.2. मध्य अरावली की सबसे ऊची चोटी कौनसी है ?
मोरामजी(अजमेर)

Q.3. अरावली पर्वत माला  सर्वाधिक कट्टी-फट्टी कीस जिले मे है ?

अजमेर

Q.4. अरावली पर्वत माला की सबसे ऊंची चोटी का नाम बताइये?

गुरूसिखर ।

Q.5. अरावली पर्वत माला को राजपूताना की सुरक्षा दिवार कीसने बताया ?

कर्नल जेम्स टाॅड ने ।

Q.6. अरावली पर्वत माला की तुलना कीस पर्वतमाला से की जाती है ?

अप्लेशियन पर्वत माल से (उत्तरी अमेरीका महाद्वीप मे है )

Q.7.अरावली पर्वत माला का राजस्थान मे देशांतरिय  विस्तार बताइए ?

72°10' पूर्वी देशान्तर   से 77°3' पूर्वी देशान्तर तक ।

 Q.8. अरावली पर्वत माला का राजस्थान मे अक्षांशिय विस्तार क्या है ?

23°20' उत्तरी अक्षांश से 28°20' उत्तरी अक्षांश।

Q.9. अरावली पर्वत माला के किनारे कौन-सी प्राचीन सभ्यताऐ बची हुई है ?

आहाङ(उदयपुर), गिलूण्ड(राजसमन्द) बैराठ(जयपुर),
गणेश्वर(सीकर)

Q.10. राजस्थान मे अरावली पर्वत माला का सबसे निम्न स्थान कौनसा है ?

साम्भर झील ।

 
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