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राजस्थान का पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश- थार का मरूस्थल / rejesthan in rajasthan.

उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश (murasthal)

विशाल थार का मरूस्थल(thar ka marusthal) भारत के चार राज्यो गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा मे फैला हुआ है । यह थार का रेगिस्तान(dasert) विश्व का 9 वां सबसे बङा उप्पोष्ण मरूस्थल है तथा शीतोष्ण एवं उप्पोषण दोनो की दृष्टि से देखा जाए तो यह 19 सबसे बङा रेगिस्तान(rajasthan) है । मरूस्थल अरबी भाषा के शब्द सखरा से लिया गया है जिसका अर्थ है मृत भूमि । इस मरूस्थल को विश्व के सापेक्ष देखा जाए तो यह ग्रेट पाॅलिआर्कटिक या सहारा मरूस्थ का हिस्सा है । भारत मे इस मरूस्थल को थार का मरूस्थल कहते है जबकि पाकिस्तान मे इसे चोलिस्तान कहा जाता है ।

Thar marusthal

थार का मरूस्थ टेथिस सागर का अवशेष माना जाता है जिसके कई प्रमाण मिलते है । भारत मे थार का मरूस्थल 2 लाख 90 हजार वर्ग किलोमीटर मे फैला हुआ है जिसमे से लगभग 1 लाख 75 हजार वर्ग किलोमीटर राजस्थान मे है । जो की कुल मरूधरा का 60% है ।

थार का मरुस्थल सर्वाधिक जैवविधता और सर्वाधिक जनघनत्व वाला मरूस्थल है  इसलिए इसे विश्व का सबसे धनी मरूधरा कहा जाता है । 

पश्चिमी मरूस्थल या राजस्थान का मरूस्थल(Regishan in rajasthan)

पश्चिमी मरूधरा राजस्थान के 12 जिलो जैसलमेर, बाङमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चुरू, झुन्झुनू , सीकर, नागौर, जोधपुर, जालौर, पाली आदि जिलो मे विस्तृत है । पश्चिमी मरूस्थल का ढाल उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम मे लूनी नदी के समान्तर है । राजस्थान मे इसकी कुल लम्बाई 640 किलोमीटर एवं चोङाई 300 किलोमीटर है । इस मरूस्थल मे राज्य की लगभग 40% जनसंख्या निवास करती है । इसमे रेतीली अथवा बालू मिट्टी पायी जाती है, जिसकी जल ग्रहण क्षमता बहुत ही कम होती है और इसमे नाइट्रोजन एवं ह्यमस का अभाव होता है जिसके कारण फसल का उत्पादन बहुत कम होता है। यहां के लोग आजीविका के लिए पशुपालन के साथ-साथ चक्रीय कृषि करते है । यहा के मुख्य पालतू पशु ऊंट, भेङ,बकरीयां, गाय है । ऊंट को रेगिस्तान का जहाज भी कहते है तो रेगिस्तान मे यातायात के काम आता है ।

Thar marusthal map in hindi

मरूस्थल की विशेषताएं

मरूस्थल मे अनउपजाऊ भूमि, वर्षा, खाद्यान्नो एवं वनस्पति का अभाव होती है । यह पर बहुत ही प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे कि उष्णकटिबंधीय मरूस्थल मे दिन  तापमान बहुत अधिक होता है और रात मे रेत ठण्डी हो जाने के कारण ताममान मे कमी आती है । तथा शीतोष्ण कटिबंधीय मरूस्थल मे तापमान बहुत ही कम होता है ।

मरूस्थल के प्रकार (marusthal ke parkar)

मरूस्थल मुख्य रूप से दो प्रकार कहा होता है पहला शीतोष्ण कटिबंधीय मरूस्थल जहाँ पर बहुत ही ज्यादा ठण्ड पङती है और वर्षा एवं वनस्पति का अभाव होता है तथा शुष्क शीतोष्ण हवाएं बहती है ।  उदाहरण लद्दाख का मरूस्थल।

दूसरा उष्णकटिबंधीय मरूस्थल यहाँ पर बहुत ही ज्यादा गर्मी पङती है । वर्षा बहुत ही कम होती है और दूर-दूर केवल रेत के टीले दिखाई देते है तथा पेङे पौधे विरहल होती है । भारत का सबसे बङा थार का मरूस्थल इसी का उदाहरण है ।

Marusthal map

राजस्थान मे टेथिस सागर के प्रमाण

राजस्थान के मरूस्थल टेथिस सागर का अवशेष है जिसके जगह-जगह पर कई प्रमाण मिले है ।

1. खारे पानी की झीले

2. अवसादी चट्टानों की प्रधानता 

3. जैसलमेर के कुलधरा गांव मे मछली के अवशेष प्राप्त हुए है ।

4. परम्परागत संसाधनो का पाया जाना जैसे कोयला तेल, पेट्रोल, डीजल...आदि ।

पश्चिम मरूस्थल का विभाजन (ragisthan in rajasthan)

राजस्थान के मरूस्थल को 25 सेमी वर्षा रेखा के आधार पर दो भागो मे विभाजित किया गाया है  ।

(1)शुष्क मरूस्थल (2) अर्द्ध शुष्क मरूस्थल

1. शुष्क मरूस्थल

शुष्क मरूस्थल राजस्थान के पश्चिम से लेकर 25 cm वर्षा रेखा तक विस्तारित है जिसमे मुख्यतः जैसलमेर, बाङमेर बीकानेर, चुरू, झुन्झुनूं और कुछ हिस्सा जोधपुर का आता है । इसमे बहुत ही कम वनस्पति पायी जाती है । जैसलमेर का सम गांव पूर्ण रूप से वनस्पति रहित है । इस भूगाग मे केवल और केवल रेतीले थोरे पाए जाते है । जो गर्मी के मौसम मे हवाओ के साथ पूर्व से पश्चिम की और बढते है जिसे रेगिस्तान का मार्च कहा जाता है। जैसलमेर जिले के नाचना गाँव मे सर्वाधिक रेगिस्तान का मार्च होता है ।

registhan ka jahaje

मरूस्थल का प्रचार दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर होता है जिसके के लिए बरखाना नामक बालूका स्तूप सर्वाधिक उत्तरदायी है ।

शुष्क मरूस्थल (रेगिस्तान) को बालूका स्तूपो के आधार पर पुनः दो भागों मे विभाजित कीया गया है ।

(A) बालूका स्तूप युक्त मरूस्थल 

बालुका स्तूप युक्त मरूस्थल शुष्क मरूस्थल के 58.50% हिस्से पर पाया जाता है । यह स्तूप सर्वाधिक मार्च और जुलाई महीनो के मध्य सर्वाधिक बनते है । इस मरूस्थल को भारतीय महान मरूस्थल भी कहा जाता है ।

बालूका स्तुपो के प्रकार 

1. अनुदैध्य बालुका स्तूप

यह बालूका स्तूप पवनो की दिशा के समान्तर बनते है, इन्हें सहारा मे कासी कहा जाता है । राजस्थान मे इन स्तूपो को विस्तार जैसलमेर जोधपुर और बाङमेर मे है ।

2. अनुप्रस्थ बालूका स्तूप

यह हवाओ की दिशा के दिशा के समकोण पर बनते है और इनका विस्तार श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकनेर जिलो मे है ।

बरखान खालुका स्तूप

अर्द्ध चंद्राकार आकृति वाले यह बालूका स्तूप सर्वाधिक नुकसान दायक बालुक स्तूप है । यह भालेरी(चुरू), सीकर और झुन्झुनू जिलो मे पाये जाता है ।

पैराबोलिक बालुका स्तूप

यह महिलाओं की हेयर पिन जैसी आकृति एवं बरखान के विपरीत होते है । यह सामान्यतः पेङो के सहारे बनते है । इनका विस्तार सम्पूर राजस्थान मे पाया जाता है  ।

नेटवर्क बालूका स्तूप

लगातार बनने वाले बालूका स्तूपो को नेटवर्क बालूका स्तूप कहा जाता है यह श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ जिलों मे पाए जाते है ।

शब्र काफीज बालुक स्तूप

छोटी-छोटी वनस्पति के सहारे बनने (आक, झाङी) वाले बालूका स्तूपो को शब्र काफीज कहते है । इनका विस्तार सम्पूर्ण राजस्थान मे है ।

तारा बालूका स्तूप

अनियमित पवनो के प्रवाह से बनते है यह पोकरण और सरतगढ मे पाये जाते है ।

यारङन बालुका स्तूप

यह लहरदार बालूका स्तूप होते है तथा सम्पूर्ण राजस्थान मे पाये जाते है ।

Note सर्वाधिक बालूका स्तूप जैसलमेर जिले मे पाये जाते है। कम एवं सभी प्रकार के बालूका स्तूप जोधपुर जिले मे पाये जाते है ।

(B)बालुका स्तूप मुक्त मरूस्थल

इस प्रका का रेगिस्तान राजस्थान के कुल मरूस्थल
के लगभग 42.50% भू भाग पर मौजूद है । यह बाङमेर के बालोतरा(नया जिला) से फलौदी और पोकरण जैसलमेर तक फैला हुआ है । इसी क्षेत्र मे लाठी सीरीज नामक मीठे पानी की भूगर्भीक  जल पट्टी है ।

लाठी सीरिज

यह मीठे पानी की भूगर्भीक जल पट्टी जैसलमेर के पोकरण से लेकर मोहनगढ तक फैली हुए है । 26 नवम्बर 2016 मे k.s वाल्दिया समीति की रिपोर्ट के अनुसार यह सरस्वती नदी का अवशेष है ।
इस लाठी सिरीज मे सेवण नामक घास पायी जाती है, जो राजस्थान के राज्य पक्षी गोङावन(क्रोरियोटिस नाइग्रीसेप्स) की प्रजनन स्थली है । इसके अलावा इस सीरीज मे धामण, करडी, तरङगम आदि घासे एवं पीवणा नामक सांप पाया जाता है ।
इसी श्रेणी मे चांदन/चांघन नामक नलकूप है जिसे थार का घङा कहा जाता है ।

अर्द्ध शुष्क मरूस्थल

25 सेन्टीमीटर सम वर्षा रेखा एवं अरावली पर्वत माला के मध्य का भाग अर्द्ध शुष्क मरूस्थल कहलता है । इसका शेत्रफल लगभग 75 हजार वर्ग किलोमीटर है । यहां पर औसत वार्षिक वर्षा 25 सेमी से 50 सेमी के मध्य तक होती है ।
अर्द्ध शुल्क मरूस्थल का विभाजन
अद्धशुष्क मरूस्थल को चार भागो घग्घर बेसिन, शेखावाटी प्रदेश, नागौरी उच्च भूमी और गोडवार प्रदेश/लूनी बेसिन मे विभक्त कीया गया है ।

1. घग्घर बेसीन

यह घग्घर नदी का बहाव क्षेत्र है । इसमे श्रीगंगानगर और हनुमानगढ जिले आते है । इसका कोई भी भाग अरावली को स्पर्श नही करता है ।

2. शेखावाटी प्रदेश

शेखावाटी प्रदेश की उत्तरी सीमा घग्घर बेसिन, पूर्वी सीमा अरावली एवं दक्षिण सीमा नागौरी उच्च भूमि से लगती है । इस क्षेत्र को बागंर क्षेत्र/तोरावाटी/आन्तरिक प्रवाह क्षेत्र भी कहा जाता है ।
इस प्रदेश का विस्तार सीकर, चुरू एवं झुन्झुनू जिलो मे है । यहा पर सर्वाधिक बरखान एवं खेजङी के वृक्ष पाये जाते है ।
इस प्रदेश मे कातली नदी बहती है ।

नागौरी उच्च भूमि

कूबङा/बंका/फालोरोसिस पट्टी जैसे उप नामो से जाना जाने वाला यह प्रदेश अजमेर और नागौर के मध्य भाग मे फैला हुआ है । इस क्षेत्र मे हरियल पक्षी/हरे कबूतर पाये जाते है । यहा पर सरिस्का अभ्यारण्य स्थित है ।
इस क्षेत्र मे सर्वाधिक मात्र मे फ्लोराइड पाया जाता है।  जिसके लिए आसरवा गांव (नागौर) प्रसिद्ध है ।

लूनी बेसिन/गोडवार प्रदेश

यह लूनी नदी का प्रवाह क्षेत्र है । लूनी का कुल अपवाह क्षेत्र 35 हजार किलोमीटर है । इसी क्षेत्र के बाङमेर मे एक नाकोङा पर्वत है, जो जैनियो का धार्मिक स्थल है ।
बाङमेर की हल्देश्वर पहाङी पर पीपलूद नामक स्थान पर सर्वाधिक वर्षा होती है इसलिए इसे मारवाड़ का मिनि माउण्ट आबू कहते है ।
गोडवाना प्रदेश की छप्पन की पहाङी से सर्वाधिक मात्रा मे ग्रेनाइट का उत्पादन होता है । जालौर मे गुम्बादाकार ग्रेनाइट पहाङियाॅ इन्सेलबर्ग के रूप मे मौजूद है । इसलिए जालौर को ग्रेनाइट सीटी कहा जाता है ।

मरूस्थलीकरण के कारण

मरुस्थलीकरण के कारण वनो की कटाई, जलवायु परिवर्तन, भू जल स्तर नीचे गिरना, प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा पङना, बाढ़ एवं हवाओ द्वारा भूमि का कटाव आदि मरुस्थलीकरण के मुख्य कारण है ।

मरूस्थलीकरण को रोकने के उपाय

मरूस्थल(रेगिस्तान) के प्रचार को रोकने के लिए 17 जून को मरूस्थल दिवस मनाया जाता है । इसकी घोषणा संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सन् 1994ई. मे की थी ।

भारत सरकार ने मरूस्थल के प्रचार को रोकने के लिए सन् 1959 मे CAZRI(Centerl raid zone research institute)की स्थापना की । जिसका मुख्यालय जोधपुर मे है । इस संस्था का उद्देश्य मरूस्थल के प्रचार को रोकना है ।

1. वनो की कटाई पर रोक लगानी चाहिए 

2. अतिपशुचारण पर रोक एवं चारहागहो का विकास करना चाहिए। 

3. पेङ-पौधो को लगाना चाहिए ।

4. वर्षा के जल का संरक्षण कर भू जल स्तर को बनाए रखना ।

5. लोगों को पर्यावरण के जागरूक करना ।

मरूस्थल शब्दावली

नखलिस्तान

मरूस्थल मे किसी झील के चारो तरफ हरियाली विकसित हो जाती है तो उसे नखलिस्तान कहते है । उदाहरण के रूप मे बीकानेर की कोलायत झील ।

डांड

रेगिस्तान मे लवणीय झीले ।

सेलीना झील

टाट/रन/प्लाया झीले मे जब पानी सूख कर धीरे-धीरे कम मात्रा मे रहता है, तो उसमे लवणता की मात्रा बढ जाती है ऐसी उच्च लवणता वाली झीलो को सेलीना कहते है ।

बोल्डर

गोल चिकने पत्थरो को कहा जाता है ।

आकल वुड फाॅलिल्स पार्क

आकलन वुड फाॅसिल्स राष्ट्रीय मरू उद्यान जैसलमेर मे स्थित है । यहा से समुद्री वनस्पति एवं डायनासोर के प्रमाण मिले है ।

मरूस्थल की नवीनतम रिपोर्ट

4 June 2013 की रिपोर्टस के अनुसार राजस्थान के 17 जिलो मे रेगिस्तान फैला हुआ है जिसमे अजमेर, अलवर,जयपुर, सिरोही, राजसमन्द नये जिले शामिल हुए है ।
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान केन्द्र इसरो(2007) के अनुसार राजस्थान के लगभग 67% भाग पर मरूस्थल है ।

मरूस्थल से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (question)

Q 1. मरूस्थल कीसे कहते है ?(marusthal kise kahate hai.)

ऐसे क्षेत्र जहाँ पर वर्षा कम हो, प्रतिकुल तापमान हो(कम या ज्यादा) वनस्पति का अभाव हो एवं शुष्क हवाऐ बहती हो मरूस्थल कहलाता है ।

Q 2. रेगिस्तान को English मे क्या कहते है ?(murusthal in English)

Desert

Q 3. थार के मरूस्थल thar mumurusthal) को पकिस्तान मे क्या कहते है ?

चोलिस्तान

Q 4.विश्व का सबसे बङा मरूस्थल कौनसा है ?

सहरा मरूस्थल

Q 5. रेगिस्तान के समानार्थी शब्द है ?

मरूस्थल, मरुभूमि, मरू... आदि ।

Q 6.भारत मे कितने मरूस्थल है ?

थार का मरूस्थल और लद्दाख का शीतोष्ण मरूस्थल। 

Q 7. थार के मरूस्थल मे कीस प्रकार की वनस्पति पायी जाती है?

लवणोद्भिद वनस्पति (जिरोफाइट्स)

Q 8. राजस्थान मे डायनारोर के विलुप्त होने के प्रमाण कहा से प्राप्त हुए ?

फतेहगढ(जैसलमेर)

Q 9.  वर्तमान मे राजस्थान के कितने नये जिलो मे मरूस्थल फैला हे ?

5 जिलो मे ।

Q 10. मारवाड़ का मिनी माउंट आबू कीसे कहते है ?

पीपलूद (बाङमेर) को

Q 11.हरे कबूतर कहा पाये जाते है ?

नागौरी उच्च भूमी मे

Q12. लाठी सीरीज मे कौन कौनसी घासे पायी जाती है ?

सेवण, धामण, करङी, तरङगम आदि ।

Q 13 . रेगिस्तान के जहाज कीसे कहते है ?

ऊंट को ।

Q 14.मरूस्थल का प्रवेश द्वार, सिंह द्वारा एवं केन्द्र कीसे कहा जाता है?

जोधपुर (marusthal ka parvesh dwar)

Q 15. उर्मिकाएं किसे कहते है ?

वायु के प्रवाह से रेत मे बनी लहरो को उर्मिका कहा जाता है ?



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